Wednesday, December 21, 2022

थोड़ी सी रात बाक़ी है,थोड़े से राज बाक़ी हैं.........

 


थोड़ी सी रात बाक़ी है,थोड़े से राज बाक़ी हैं.........



 अपने होठों से न हो बयाँ,कई अल्फाज बाक़ी हैं।
 अपनी फितरत पे हैं कुरबां,थोड़े हम राज बाक़ी हैं।
               थोड़े से..........................।

वक्त का लुत्फ़ लेने दो, वक्त का क्या ठिकाना है।
चलो अब हो गया कहना,तख़्त ऐ ताज बाक़ी है।
              थोड़े से...................।

गहल की गफलतों को सुन,इतने ग़मगीन न हो सोमू।
लुत्फ़ में गुप्त न होना, कई अहसास बाक़ी हैं।
             थोड़े से.................।
                                    सोमिल जैन "सोमू"

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