ई-कल्पना पत्रिका युवा लेखकों के लिए बेहतरीन मंच है। यह पत्रिका ना सिर्फ लेखक की रचना प्रकाशित करती है बल्कि उचित मानदेय भी देती है। जो कलमकार लिखने में रुचि रखते हैं और कहानियों को पन्ने पर उतारना जानते हैं उनके लिए यह पत्रिका प्रोत्साहन प्रदान करती है और शानदार मौका देती है। अगर आप भी कहानी लिखते हैं तो ई-कल्पना को अपनी कहानी लिख भेजिए। प्रक्रिया मैं आपको बताता हूं।
सबसे पहले अपनी पूरी कहानी को वर्ड फाइल में समेटकर ई-कल्पना के ऑफिशियल ईमेल आईडी पर 'ई-कल्पना में प्रकाशनार्थ कहानी' विषय के साथ वर्ड फाइल अपलोड कर
ekalpnasubmit@gmail.com पर मेल कर दीजिए। बहरहाल कुछ ही दिनों (लगभग एक हफ्ता) में पत्रिका की तरफ से आपको मेल आएगा। मेल मे लिखा होगा कि आपकी कहानी पढ़ी जा रही है। आपकी रचना की स्वीकृति-अस्वीकृति के निर्णय पर पहुंचने पर जल्द आपसे संपर्क किया जायेगा। और अगर आपके द्वारा भेजी गई कहानी कहीं और प्रकाशित हो रही है तो तुरंत अवगत कराएं।
कुछ दिनों बाद ई-कल्पना की तरफ से कहानी की स्वीकृति-अस्वीकृति को लेकर मेल आएगा। अगर आपकी कहानी अस्वीकृत हुई हो तो फिर आगे कोई बात ही नहीं लेकिन अगर आपकी कहानी स्वीकृत हुई होगी तो पत्रिका का अगला अंक जब भी प्रकाशित होगा आपको बताया जाएगा। उसके बाद आपसे फोटो और आपका परिचय मांगा जाएगा। (आप जब कहानी भेजें तब भी अपना परिचय और फ़ोटो भेज सकते हैं)
ध्यान देने योग्य बात ये है कि इस मेल में एक नोट भी लिखा रहेगा जिसे आप ध्यान से पढ़िए। नोट होगा - अपनी कहानी के लिये आपको प्रकाशन के समय ₹2000 का मानदेय प्राप्त होगा. हम आपसे उम्मीद करते हैं कि इस शुभ समाचार को आप मित्रों में व सोशल मीडिया में शेयर करेंगे. यदि आपको लगता है कि आप ऐसा नहीं कर सकते तो हमें तुरंत बताएं. साथ में, यदि इस दौरान आपकी यह कहानी कहीं और प्रकाशित हो गई हो, या फिर पूर्व प्रकाशित है, तो भी हमें ज़रूर सूचित करें, और अपनी कोई और अप्रकाशित कहानी भेजें. उसे हम प्रकाशन विचारार्थ सखुशी पढ़ेंगे.
यदि आप सेशल मीडिया में हैं तो कृपया ई-कल्पना को फ्रैंड-रिक्वैस्ट भेजें या फिर अपना पता दें और हम आपसे फ्रैंड रिक्वैस्ट करेंगे.
फिर आपके पास अगल मेल आएगा जिसमें पत्रिका के नियम और शर्ते बताई जाएंगी जिन्हें आप बहुत ध्यान से पढ़िए और समझिए।
1. यदि आपकी कहानी प्रकाशन तिथि से पहले किसी अन्य पत्रिका में प्रकाशित होती है तो कृपया हमें ज़रूर और तुरंत इत्तिला करें.
2. यदि आप सोशल मीडिया में शामिल हैं, तो अपनी प्रकाशित कहानी मित्रों में ज़रूर शेयर करें. हमने देखा है कई लेखक काफी सक्रिय होने के बावजूद हमारी पत्रिका में प्रकाशित अपनी कहानी अपने मित्रों में साझा नहीं करते हैं. इससे उनके उत्साह का अभाव झलकता है, साथ में हम ये भी समझते हैं कि ई-कल्पना द्वारा सम्मानित लेखक ई-कल्पना को सपोर्ट करने में कोई दिलचस्पी नहीं रखता.
उपर्युक्त दशाओं के उल्लंघन का (यानि, पूर्वप्रकाशित होना, या सोशल मीडिया में सक्रिय होने के बावजूद कहानी को शेयर न करना), इन दोनों का असर बिलकुल मानदेय के वितरण में भी होगा.
3. यदि आपने अब तक अपनी बायो व फोटो नहीं भेजी है, तो कृपया भेजेंअपनी कहानी हमें भेजने के लिये धन्यवाद।
और फिर प्रक्रिया के अनुसार ई -कल्पना की वेबसाइट ऑफिसियल वेबसाइट
https://www.ekalpana.net/ पर सबसे पहले आपकी कहानी प्रकाशित होगी। उसके बाद जब आपकी कहानी पत्रिका में प्रकाशित होगी तब आपके पास इस तरह का में आएगा।
प्रिय लेखक, नमस्कार ! आपकी कहानी पाँच कहानियाँ के __वें संकलन में प्रकाशित हो चुकी है. कहानी के लिये आपको ₹ 2000 की राशि मानदेय के तौर पर दी जाएगी, जो आपके अकाऊंट में ई-कल्पना के इंडस-इंड के गुड़गांव ब्रांच से वायर ट्रांस्फर की जाएगी.
कृपया अपने बैंक डीटेल (निम्नलिखित) भेजें.
Name:
Bank Name:
Account number:
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हमारी दिली कोशिश है कि ज़्यादा लोग अच्छी कहानियाँ पढ़ने की और लिखने की आदत डालें, प्रकाशन के लिये भी भेजें. इसलिये यदि आप अपनी इस प्रकाशित कहानी को मित्रों में व सोशल मीडिया में शेयर करें तो हम आपके आभारी होंगे. आपकी कहानी ई-कल्पना ब्लॉग में सदा प्रकाशित रहेगी, इसे आप या आपके मित्र निःशुल्क पढ़ सकते हैं.
संकलन की प्रत्येक प्रति रु 95 में पत्रिका के साइट (इस लिंक) पर उपलब्ध है. 40वाँ संकलन खरीदने का लिंक यहाँ है. आगे - कहानियाँ लिखते रहें, अपनी नई कहानियाँ भेजते रहें. हमें आपकी कहानियों का इंतज़ार रहेगा. सधन्यवाद
मुक्ता सिंह-ज़ौक्की
सम्पादक, ई-कल्पना
यही ई-कल्पना पत्रिका में अपनी कहानियां भेजने की पूरी प्रक्रिया है। अगर आप कहानियां लिखते हैं तो देर मत कीजिये पत्रिका ने अगले अंक के लिए कहानियां पढ़ना शुरू कर दिया है। विशेष ध्यान दें : ई-कल्पना अनगिनत कहानियों में बेहतरीन कहानियां छापती है इसलिए लेखन पर जोर दें और इसके लिए पत्रिका ने अपनी गाइडलाइन वेबसाइट दी है जो मैं यहां शेयर कर रहा हूँ।
अपनी कहानियाँ भेजिये ...
आपकी कहानी - ● पूर्व प्रकाशित न हो
● एक अच्छी कहानी का स्वरूप बनाए रखें, यानी कि भाषा, विडम्बना, कथानक, इत्यादि न भूलें ... भाषा अच्छी ही न हो, वर्तनी व व्याकरण का भी ध्यान दें
● यूनिकोड फांट में हो. (नोट – कृति देव यूनीकोड फांट नहीं है. कई लेखक हमें कृति देव में शायद यह सोचकर भेजते हैं कि इसे बस कनवर्ट ही तो करना है, कर लेंगे ये लोग. जी हाँ, यही करना पड़ता है हम लोगों को, क्योंकि हम आपकी कहानियाँ पढ़ने को अधीर हो रहे होते हैं. मगर यह बात भी सही है कि जब पढ़ने को बहुत सारी कहानियाँ होती हैं, तो वो कहानियाँ जो कृति देव में टंकित की जाती हैं, कई बार रह जाती हैं)
यदि उपर्युक्त सभी बातों में आपकी कहानी खरी उतरती है, तो हमारी सम्पादकीय टीम उसे बहुत प्रेम से पढ़ेगी।
प्रकाशनाभिलाशी लेखकों के लिये सूचना
1. यदि आपको कहानी प्राप्ति पत्र मिल चुका है, लेकिन स्वीकृति/अस्वीकृति निर्णय पत्र नहीं मिला है, तो कृपया इंतज़ार करें. कहानियाँ लगातार पढ़ी जा रही हैं.
2. मानदेय के विषय में - लेखक के काम का मूल्य होता है, इसलिये हर स्वीकृत कहानी को हम मानदेय देते हैं. हर स्वीकृति पत्र में हम लेखक से प्रकाशन की सूचना अपने मित्रों में सोशल मीडिया के ज़रिये प्रसारित करने की विनती भी करते हैं. इससे, पहले तो लेखक का उत्साह झलकता है, साथ में पत्रिका का भी प्रसार होता है. पत्रिकाओं को पाठकों की ज़रूरत है, यह एक लॉजिकल सच है. अकसर हमने देखा है कि लेखक सोशल मीडिया में सक्रिय होने के बावजूद ई-कल्पना में प्रकाशित अपनी कहानी साझा नहीं करते हैं. इसे हम केवल एक तरह से देखते हैं - कि लेखक ई-कल्पना को बॉयकौट कर रहे हैं. सामान्यतः हम उम्मीद करते हैं कि प्रकाशन के एक हफ्ते के दौरान लेखक कहानी को साझा कर अपना गर्व भी साझा करेंगे. इसलिये हमारे सम्पादक मंडल ने तय किया है कि यदि आप सोशल मीडिया में सक्रिय हैं और ई-कल्पना में प्रकाशित अपनी कहानी को साझा नहीं कर रहे हैं, तो यह आपकी मर्ज़ी है, लेकिन कहानी के मानदेय के वितरण में इसका असर पड़ सकता है.
पत्रिका को लेकर मेरा अनुभव
यह पूरी प्रक्रिया ही मेरा अनुभव है। इसी प्रक्रिया के साथ ही मेरी कहानी भी प्रकाशित हुई। ई-कल्पना पत्रिका का मेल गणतंत्र दिवस पर प्राप्त हुआ (स्क्रीन शॉट अटैच कर रहा हूँ)। यह पहली बार है जब ई-कल्पना से मुझे मानदेय मिल रहा है। ऐसी पत्रिकाओं का खूब प्रचार और प्रसार होना चाहिए। नए लेखकों के लिए यह अच्छा प्लेटफॉर्म है। ई-कल्पना पत्रिका में पिछले दिनों मेरी कहानी 'लॉकडाउन कोटा' प्रकाशित हुई थी।
अगर आप कहानियां लिखते हैं तो अपनी रचनाओं को ई-कल्पना को भेज सकते हैं। आपकी रचनाएं यहां प्रकाशित होंगी तो आपको पारिश्रमिक भी मिलेगा और रचना पांच कहानियों के संकलनन में ई-मैग्जीन के तौर पर भी प्रकाशित होगी। जिसमें आप अन्य लेखकों की कहानियां भी पढ़ सकते हैं।
ई-कल्पना की कोविड कहानी सीरीज़ में प्रकाशित सोमिल जैन सोमू की लिखी कहानी "लॉकडाउन कोटा"*
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