Sunday, December 18, 2022

कभी ना हार मानने की जिद जिंदाबाद !

ये औरों के लिए महज एक डिग्री हो सकती है लेकिन मेरे लिए यह मेरा हांसिल है क्योंकि ये मेरे लिए सपना था जो अब पूरा हो गया है। लोग ये डिग्री देखकर ये कहेंगे कि ये तो कोई भी ले सकता है लेकिन मैं इसे देखकर अपने पूरे संघर्ष को याद कर रहा हूँ। फैसला बहुत कठिन था क्योंकि मेरे लिए अनजान रास्ता था। फैमिली बैक ग्राउंड इस क्षेत्र को नहीं जानता था लेकिन फैमिली ने बहुत साथ दिया। लिखते वक्त भावुक हूँ क्योंकि जो पास आया है वो कागज का एक टुकड़ा नहीं बल्कि मेरे संघर्ष, ना हारने और मैदान में टिके रहने का सबूत है।

वो दिन भी याद है जब बहुत जद्दोजहद के बाद माखनलाल चतुर्वेदी यूनिवर्सिटी में एडमिशन मिला था। दिल में एक सपना था दिमाग में उस सपने को पूरा करने की तरकीबें बस।

पहले पता नहीं था कि लेखन के लिए कोई फील्ड होती भी है या नहीं या सिर्फ एक उपन्यास लिखने से आपको अपार सफलता मिल जाएगी ! इसके वावजूद कि रास्ता आसान नहीं था लेकिन चलना तो था ही क्योंकि बैक ऑफ करने का कोई ऑप्शन नहीं था।

घरवालों की बनवाई एफडी तोड़कर भोपाल आने का फैसला, पत्रकारिता करने का साहस, रास्ते को ना जाने सिर्फ एक व्यक्ति के कहे पर चल देना किसी कठिन निर्णय से कम नहीं था लेकिन आज वो फैसला मेरे लिए मेरी रेस्पेक्ट बढ़ाता है।

इस मुकाम को पाने में मेरे विमलेश चाचा ने हर तरह से साथ दिया। यहां रहना, खाना उसकी पूरी जिम्मेदारी उन्होंने ली। दादा-दादी और सबका साथ मुझे हमेशा मिला, जो मुश्किल आयीं उनसे लड़ने का साहस मिला। एक वक्त शायद मैं भोपाल छोड़ जाता लेकिन संजय मामा ही हैं जिनकी वजह से मैं भोपाल में टिक पाया। मेरी फीस और बाकी खर्च जिसे सोचकर लगता नहीं था कि मैं टिक पाऊंगा उस डर को जिनकुमार जी भाईसाब ने खत्म ही कर दिया।

एक वक्त आया था जब कॉलेज ड्राप करने का फैसला मन में आने लगा था लेकिन उस बड़े पत्थर से भी लड़कर ये मुकाम पाया है इसके लिए ये डिग्री मेरे लिए बहुत खास है। मैं इस टुकड़े में वो सब महसूस करता हूँ जो मैंने खोया है और जो मैंने पाया है। मेरे परिवार से इस वक्त तक इतने आगे आने वाला मैं ही हूँ लेकिन आखरी नहीं हूं क्योंकि जब फैमिली से एक बच्चा पढ़-लिखकर अच्छे मुकाम पर पहुंच जाता है तब उसके आगे आने वाली जिंदगी और पीढ़ी सबकी दुनिया बदल जाती है।

ये डिग्री इसलिए भी खास है क्योंकि मेरा परिवार मेरे लिए फैसले से खुश है, और गर्व करता है। आखिर में यही है कि जो फैसले हम ले लेते हैं, वो फैसले आपको ये अहसास दिलाते हैं कि आप फैसले लेने की हिम्मत रखते हैं और उन फैसलों को रास्ते बनाकर मंजिल हांसिल करना आपकी जिम्मेदारी ही नहीं, आपकी जिद है। कभी ना हार मानने की जिद जिंदाबाद ! 

हरिवंशराय बच्चन साहब ने कहा है- 

जब नाव जल में छोड़ दी।
मझदार में ही मोड़ दी। 
दे दी चुनौती सिंधू को।
फिर धार क्या मझदार क्या !

2 comments:

Chhavi Jain said...

बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएँ पत्रकार साहब उर्फ लेखक साहब आपकी जिद के बारे मे क्या ही कहना ...आप सचमुच बहुत ही परिश्रमी एवं अपने निर्णय के प्रति दृढ रहने वाले किरदार है जो कभी अपने ठाने फैसलो से पीछे नही हटते मुश्किले लाखों आयीं पर फिर भी न हार मानकर कुछ कर दिखाने की उस जिद ने आज आपको इस मकाम पर पहुंचा ही दिया आखिर ....
आज फिर वही कहने का मन है जो पहले कहा था कभी ..
आपके हाथों मे मेहनत की लकीरें हैं इसलिए आप success के पीछे नही success आपके पीछे हैं!

यह आपने पहले आपकी किताब लिखकर साबित किया था और आज आपने आपकी इस जीत से यह फिर से साबित कर ही दिया!

नाज़ है आप पर !
ऐसे ही आगे बढते रहिये ऐसी शुभकामनाएं😌💐💐💐

कलमकार said...

आभार छवि जी,साथ बनाए रखिए

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