Saturday, August 20, 2022

एक नन्हा दीपक

 इन काली काली रातों में,एक नन्हा दीपक जलता है।

मगर अफ़सोस वो बेजुबाँ,क्यों बिखरा बिखरा रहता है,क्यों उखड़ा उखड़ा रहता है।

इन गम के तुफानो में,कंही महफूज पलता है।
सांसे न रुक जाएँ कभी,लहरों से बचकर छिपता है,लहरों से बचकर जलता है।
        इन काली काली..........

एक दिन ऐसा हुआ,नजदीक आया छोटा दिया।
मुस्कुराते हुए पूछा- बड़े भाई क्या हुआ।
लहरों तूफान भवन्दर से,उसका यह रूप सिसकता है।
    इन काली काली.............

डर लगता है चट्टानों से,इन लहरों से तूफानों से।
पल पल उसको बुझने का,ये दर्द दिलों में पलता है।
             इन काली काली........

छोटे दिए ने हंसकर कहा-
बड़े भाई अंत तो होना है।
जो जला आज कल बुझना है।
ये सोच,सोच क्यों रखता है।
जो होना है सो होता है।

शम्मा है तू परवाना है अपनी मंजिल भी पाना है।
खुद में विश्वास जगा ले तू,वापिस फिर कोई न आता है।
               इन काली काली.......
                                सोमिल जैन """" सोमू""""

No comments:

कलम क्या-क्या लिखाए

ई-कल्पना पत्रिका में कैसे छपवाएं अपनी कहानियां : मानदेय के साथ प्रोत्साहन भी, पूरी प्रक्रिया जानिए....लिखो और कमाओ

  ई-कल्पना पत्रिका युवा लेखकों के लिए बेहतरीन मंच है। यह पत्रिका ना सिर्फ लेखक की रचना प्रकाशित करती है बल्कि उचित मानदेय भी देती है। जो कलम...