Saturday, December 31, 2022

😍मेरा हमसफ़र बनोगी😎😍😘👷💓

 जोर से बोलो  वेलिनटाइन बाबा की जय..........

बरबादी के देवता की...........जय जय और जय
गॉड ऑफ लव की...... जय जय जय

पहले मैंने सोचा कि ये ब्लॉग लिख तो लिया है मगर पोस्ट करूँ या न करूँ.....संशय में था...
तभी मेरे दोस्त ने मुझसे कहा "सोमू तू लिख क्योंकि लेखक स्वतंत्र होता है"
बस इत्ता सुनकर हमाये विश्वास को बल मिला।।।
ये ब्लॉग लिखने की वजह भी मेरे दोस्तों का कहा है
और इस ब्लॉग से दूर दूर तक मेरा कोई भी सम्बन्ध नहीं है।

भावो पर ध्यान दें बाक़ी प्रोफाइल देखनी हो लिखने वाले बन्दे की तो साइड में क्लिक करें।


😍😘❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️

                        आयुष जैन आर्टिस्ट
एक बात कहूँ, बहुत दिनों से कहनी थी तुमसे!

हम खुद से भी ज्यादा तुमको पसन्द करते हैं,

तुम जानती हो कहीं न कहीं से हम एक हैं, हमारी मंजिल भी एक है बस आज तक रास्ते अलग थे।
तुम्हें देखकर न जाने क्यों मुझे अपनापन सा लगता है।
दिल को सुकून और मेरी चाहत को राहत मिलती है।
तू मुझे इसलिए भी अच्छी लगती है क्योंकि मुझे अपने जैसे लोग अच्छे लगते हैं,
तू जिन्दगी क्या है ये समझ रही है और            
मैं जिन्दगी के तजुर्बो से वाकिफ़ हूँ।
जब हमारी मंजिल एक है तो क्यों न हम अपने रास्ते भी मोड़ लें, चले एक साथ, पकड़ एक दूसरे का हाथ, एक दूसरे के हमसफर बनकर इस जिन्दगी के सफ़र को सुहाना बनायें।


जहाँ मजबूरियाँ न हों, हम तुम में दूरियाँ न हों, फासले न हों, गलतफहमियां न हों, बस खुले आसमान में झिलमिल सितारे हों, उसके नीचे बस हम तुम हों!
एक छोटा सा घर हो...तितलियों से भरा आँगन हो..
तुम ही हो जो मेरे अकेलेपन को महसूस करती हो..

ये बातें महज़ बातें नहीं हैं बेजुबाँ हैं मगर कोरे पन्नो पर उतरकर आया मेरा दर्द है। जो मुझे यक़ीन दिलाता है कि मैं खुश हूँ, हाँ जी रहा हूँ, कहीं न कहीं जिन्दा हूँ।
तुम जानती हो तुम्हारे कदमो की आहट से मैं जान जाता हूँ कि ये तुम हो.....हाँ तुम हो.......
यहीं कहीं मेरे आस पास........
तुम अहसास हो मेरी जिन्दगी का, तुम सुकून हो मेरी बन्दगी का।
मैं ये नहीं कहता कि तुम मेरी जिन्दगी हो।
हाँ.....मगर तुम मेरी जिन्दगी में अहम हो।
हाँ.....तुम मेरी जिन्दगी में हो.....लेकिन जिन्दगी नहीं..क्योंकि हर कोई हर किसी की जिन्दगी में होता है, जिन्दगी नहीं।



एक और बात, जो तुमसे कहनी थी।
तुमसे पूछनी थी,
दर्द तो पहले भी उठता था मेरे सीने में, जुबाँ भी थी, मगर अल्फाजों का समन्दर अब बह रहा है,सब्र का बांध अब टूटा है।
अच्छा नहीं लगता जब तुम किसी और से बात करती हो....
दिल में एक बेतुकी सी चुभन होती है जब लगता है तुम किसी और से प्यार करती हो....किसी गैर को चाहती हो?

हाँ......मैं खामोश रहता हूँ, मगर अनजान नहीं हूँ।
बेवजह नहीं रूठता हूँ तुमसे, बस तेरी फिक्र करता हूँ।
तुमसे बात करते वक्त लगता है जैसे तुमसे समझदार इस दुनियाँ में कोई नहीं।
तेरे तसव्वुर से मेरी रूह को करार है।
पता नहीं ये दोस्ती या प्यार है।
मगर जो भी है, जैसा भी है...बड़ा मजेदार है।

"एक लगाव सा हो गया है तुझसे, तुझको भुलाया भी नहीं जाता, तुझसे दूर जाया भी नहीं जाता"


हाँ...थोड़ा पागल हूँ...माना तेरे काबिल नहीं।
सहमा हुआ सा हूँ, थक गया हूँ मगर मैं रुका नहीं।
बस....सवालों का जमावड़ा है, ढेरों जज्बात हैं।
यादों का पुलिंदा लिए जब सबेरे सबेरे आँखे खोलता हूँ तो इस वीरान सी दुनिया में खुद को अकेला पाता हूँ।


तुम्हें पता है मुझे अंधेरों से डर लगता है क्योंकि मैं वाकिफ नहीं हूँ इनकी गहराई से।
अनजान राहों पर भटकता हूँ अनजान बनकर, अनजाने लोग मिलते हैं इस भीड़ से भरी दुनियाँ के व्यस्त चौराहों पर...
एक सिसकती सी आवाज आती है अन्दर से कि तुझे खो न दूँ कंही मैं तुमसे बिछड़ न जाऊं?

तेरे मेरे साथ का सफ़र यंही खत्म न हो जाये, इसलिए आज मैं तुमसे कह रहा हूँ इससे पहले ही बहुत देर हो जाये

                  क्या तुम मेरी हमसफ़र बनोगी?

                     

                   नाम में बहुत कुछ रखा है
                      सोमिल जैन "सोमू"

Saturday, December 24, 2022

बनारसी इश्क़💔 पहली किश्त | कहानीखोर


ये कहानी सोशल मीडिया साईट पर मिले दो होस्टलर ईशान और आरती की है। दोनों एक ही गाँव के हैं लेकिन दोनों ही कई सालों से गाँव से बाहर होस्टल में रहते हैं। इत्तेफ़ाक से दोनों ही कोरोना महामारी के चलते अपने गाँव में फसे हए हैं।

ये मेरी कहानी है मतलब ईशान पंडित की। मैं बनारस हिन्दु युनिवर्सिटी से पढ़ा बनारसी और ईशिका मुरादाबाद से पढ़ी बालिका। उसे गर्ल्स होस्टल का पूरा नोलेज और मुझे लड़को के किय्राकलापों की पूरी ख़बर।

हमारा यूपी का एक छोटा सा गाँव है, जहाँ हम दोनों मोहल्ले वाले कहलाते हैं मगर हम कभी गाँव में मिले ही नहीं। शायद एक दूसरे से बात करने की कभी हिम्मत ही नहीं हुई। 

वो क्या है हमने boys होस्टल में सिर्फ लड़के देखे हैं, लड़की के नाम पर सिर्फ "लड़की" शब्द सुना था इसलिए लड़की से कैसे बात करते हैं हमें घंटा नहीं पता था। हम अपनी होस्टल के "गौ" आदमी थे और हमारे पास स्त्रीलिंग में कंघी भी नहीं थी, हम हमेशा कंघा रखते थे।

कोरोना आने से पहले हम बनारस में थे। यहाँ "हम" का मतलब "मैं" है। वो क्या है हम यूपी वाले हैं तो मैं को हम बोलने की हमारी आदत है इसलिए कन्फ्यूज़ मत होना। 

मार्च में हम बनारस से 15 दिन की छुट्टी पर घर आये थे मगर लाकडाउन के चलते घर में ही कई महीनो गुज़र गये।

वक्त भयानक चल रहा था।न्यूज़ चैनल पर दुनिया के हालात देखने से भी डर लगने लगा था। किताबें और मोबाइल ही इस वक्त अपने सच्चे साथी थे। इन्होंने भी कोरोना वारियर की जिम्मेदारी उठा रखी थी। सपनों और उम्मीद की तो लगी पड़ी थी।

मोबाइल पर मनोरंजन का सबसे अच्छा साधन बन गया था सोशल मीडिया और वेब सीरीज़। बस यहीं पर अत्यधिक टाइम पास करना हमारी जिदंगी बन गया था। कभी-कभी मन न लगे तो अपनी क्रश को इंस्टाग्राम पर स्टाक भी कर लेते थे। मगर हाथ कुछ नहीं आता था क्योंकि उसका इंस्टाग्राम हैंडल प्राइवेट था। हम जानते थे कि हममें उससे बात करने की हिम्मत नहीं है उससे मतलब आरती शुक्ला से। बस इंस्टाग्राम हैंडल को ही टुकुर-टुकुर देख लेते थे।

घर में पड़े-पड़े 5 महीने बीत चुके थे। खुद की सेल्फ रेस्पेक्ट तो कुछ बची नहीं थी बस खाने को मिल रहा था यही बहुत था।

हमारा गाँव बहुत छोटा है। और छोटे गाँवों की यही दिक्कत है कि वहाँ बातें बहुत जल्दी फैलती हैं। सही हों या गलत हों, बातें कैसी भी हों बहुत जल्दी बस फैल जाती हैं इसलिए आरती शुक्ला से बात करने में हमारी फटती थी। 

एक दिन मैंने हिम्मत करके इंस्टाग्राम पर उसे फोलो रिक्वेस्ट भेज दी। एक दिन गुज़र गया फिर मैंने सोचा लड़की है थोड़ा टाइम तो लेगी और यहाँ तो आरती शुक्ला हैं तो तो टाइम लगना ही है।

खैर मैंने तो रिक्वेस्ट भेज दी और एक्सेप्ट होने का इंतज़ार करने लगा।सोचने लगा कि उसने रिक्वेस्ट देखी भी होगी या नहीं?

हम ये सोच ही रहा था तभी इंस्टा का नोटिफिकेसन चमका उसने हमारी रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली थी। फिर अपन इतने चौड़ में जैसे उसने शादी के लिए हाँ कर दी हो इतनी खुशी क्या बताऊँ।

उसने रिक्वेस्ट तो एक्सेप्ट कर ली मगर हमको फॉलो बैक नहीं किया इस बात का अलग दुख हो रहा था। मेरा ईगो हर्ट हो गया इसलिए मैंने अपने ईगो का आदर करते हुए उसे फिर अनफॉलो कर दिया।

एक तरफ वो क्रश भी है मेरी और दूसरी तरफ अपना आत्म सम्मान भी अपन को जरूरी था, ऐसे कैसे चलेगा भैया?

मै इस बात को भूलने में लगा था मगर वो फिर मुझे रोज़ याद आने लगी। एक दिन हमारे मंदिर में कथा का आयोजन होना था और हमारे घर एक दूसरे से ज्यादा दूर नहीं थे। मगर सामने से बात करने में डर लगता था इसलिए मैंने इंस्टा पर उसे फिर उसे अपने आत्म सम्मान को फ्लश करके मेसेज कर दिया-


"तुम मंदिर की कथा आयोजन में आ रही हो न"


कहानी जारी रहेगी !

Friday, December 23, 2022

Blog कैसे बनायें? Step by Step in Hindi

 

Blog बनाना सीखें- blog कैसे बनायें? Step by step in hindi

नमस्कर दोस्तों ! 

बहुत सारे लोग मुझसे पूछते हैं कि ब्लॉग कैसे बनाते हैं। हम आपके ब्लॉग पढ़ते हैं और हम भी लिखना चाहते हैं लेकिन हमारे पास आईडिया नहीं है कि ब्लॉग कैसे बनाते हैं तो आज मैं सरल तरीके से step by step ब्लॉग बना कर बताता हूँ।

Free Blog और Website बनाने के लिए इंटरनेट पर कई सारे Platform मौजूद है। लेकिन ब्लॉग में और वेबसाइट में अंतर होता है। आज हम  blogger.com पर ब्लॉग कैसे बनाये ये जानेंगे।

आपके अंदर भी कई विचार आते हैं और उन्हें आप मोबाइल में टाइप करके रख लेते हैं लेकिन आपको ये पता नहीं होता कि इन विचारों को शेयर कैसे करें? कोई आसान प्लेटफॉर्म है जिससे लोग वहाँ जाकर मेरे विचार पढ़ सकें? वही काम आसान किया है ब्लॉगर ने जहाँ आप आसानी से अपने विचार पोस्ट कर सकते हैं और लोगों को भेज सकते हैं।

जैसा कि आप जानते हैं कि आज इंटरनेट बहुत ही सस्ता हो गया है। इसलिए उसका सही इस्तेमाल करना हमें आना चाहिए। ब्लॉग बनाने के लिए हमें सबसे पहले गूगल पर जाना होगा। blogger, google का ही एक प्रोडक्ट है।

step by step

1. सबसे पहले आप गूगल पर www.blogger.com सर्च करिये।

2. ब्लॉग बनाने के लिए Gmail Account से आप sign up करिये।

3. अब आपको दो option नज़र आते है Google+ Profile और Blogger Profile दोनों में से किसी एक को select करें और Profile set करें। इसके बाद Create Blog पर क्लिक करें और नीचे दिए गए Step को follow करें।

4. Title वाले कॉलम में अपने blog का Title लिखे.जैसे मेरे ब्लॉग का नाम है "तजुर्बातbyसोमू" जो आप अपने ब्लॉग का नाम देना चाहें वो आप दे सकते हैं। जरूरी बात ये कि इसे बाद में आप चेंज भी कर सकते हैं।

5. Address वाले कॉलम में अपने blog का address लिखें।  यह वो address है जिसे लोग Google में सर्च करके आपके blog तक पहुँचते हैं जैसे somiljainesomu.blogspot.com मेरा ब्लॉग एड्रेस है। अगर आपके द्वारा दिया गया address available होगा तो आपको “This Blog address is available” मैसेज दिखाई देगा।

6. जब "This Blog address is available" आ जाये तो उसके बाद NEXT वाला ऑप्शन click करें और आपका ब्लॉग तैयार हो जाएगा।

ब्लॉग सीरीज में ये पहला ब्लॉग था जिसमें बताया कि ब्लॉग कैसे बनाते हैं। आगे भी step by step ब्लॉग कैसे लिखते हैं और कैसे blog से पैसे कमाए जाते हैं ये सब बताऊंगा। इससे रिलेटेड कोई भी समस्या आपको आये तो कमेन्ट करके हमें बताएं।

कलमकारों से मुलाकात EP#1

 

पहली मुलकात - इंजीनीयर आनंद पटेल 

  


आखिरकार इंतज़ार खत्म हुआ। अमेज़न किंडल पर "लाइफ इंस्ट्रूमेंटकिताब  ही गई है और पेपरबैक में भी किताब लाइव हो गई है।

मसलनइस किताब के लेखक इंजीनियर आनंद पटेल जी से मेरी अभी तक मुलाक़ात नहीं हुई हैं लेकिन फिर भी उन्होंने मुझ पर भरोसा  करके अपने सपने को साकार करने के लिए मुझे चुनामुझे इसका हिस्सा बनाया इसका मैं हमेशा आभारी रहूँगा क्योंकि किसी भरोसा कमा पाना दुनिया की सबसे बेहतर चीजों में से एक है।
बीता साल वैसे तो अनेक चुनोतियों से संघर्ष करते हुए गुजरा लेकिन इसी साल के आखिरी महीने में मेरे पास आनंद जी का मैसेज आया और मैंने तुरंत उनकी बात समझी और किताब के कार्य को पहली प्राथमिकता दी। उसके बाद फिर घंटों कॉल पर समझने-समझाने का दौर चलता रहा। कुछ  ही दिनों में किताब की टाइपिंग और संपादन का काम हो गया लेकिन कवर डिजाइन और इंटीरियर डिजाइन का काम बाक़ी था। फिर उसकी भी कोशिशें प्रारंभ हुईं चली और कई प्रयासों के बाद ये काम भी सफल हुआ। मैं भोपाल  गया था इसलिए बुक को ज्यादा टाइम नहीं दे पा रहा था। कारण था कि नौ -दस महीने बाद भोपाल वापिस आकर यहाँ सब सेट करने में टाइम लगता है इसलिए आनंद जी और मेरे बीच अनबन शुरू हो गई। फिर एक ऐसा मोड़ आया कि मैं उस समय से इस क़िताब का हिस्सा नहीं था पर मन अभी भी कह रहा था कि आपसी मतभेद को भुलाकर उस सपनें में शामिल हुआ जाए जो वाकई उत्साहित करता है। लेखक साहब ने फिर मुझपर भरोसा किया और मैंने पब्लिकेशन देखना स्टार्ट कर दिया।अंततः OCEANINK PUBLICATION तक आकर यह बात रुकी। मकर संक्रांति के दिन किंडल पर ये क़िताब रिलीज हुई।

कई बातोंविचारों के आदान-प्रदान के बाद लेखक और संपादक के बीच एक नायाब रिश्ता कायम हो जाता है जो एक दूसरे पर एक भरोसा कायम करता है। आज हमारी इंटरव्यू ब्लॉग सीरीज "एक मुलाकात आपसेमें सबसे पहले "लाइफ इंस्ट्रूमेंटके लेखक से कुछ सवालों के साथ रूबरू होंगे।



संपादक :- आपने अपने विशेष क्षेत्र या शैली में लिखना क्यों चुनायदि आप एक से अधिक किताब लिखते हैंतो आप उन्हें कैसे संतुलित करेंगे?

लेखक:- मैंने मोटिवेशनल थॉटस को लिखना इसलिए आरंभ किया क्योंकि आज के दौर में इंसान शारीरिक रूप से तो मजबूत है लेकिन मानसिक कमजोरी इंसान को निगलती जा रही है। रही बात दूसरे क्षेत्र या शैली को लिखने की तो यही कहूँगा जो मैं अपने चारों ओर घटित होते हुए देखता हूँ उसे किताब के पन्नों पर उतार देता हूँ और यह मेरे लिए अब बहुत सहज हो गया है।

संपादक :- आप लेखन / पठन / कहानी / लेखन आदि में क्या सांस्कृतिक मूल्य देखते हैं?
लेखक:- लेखन और पठनपाठन सांस्कृतिक प्रक्रिया है जितना ज्यादा हम पढ़ते हैं उतना ज्यादा संस्कृति के नजदीक खुद को पाते हैं।

संपादक :- इस पुस्तक के जरिये आपके लक्ष्य और इरादे क्या थेऔर आप उन्हें कितना अच्छा महसूस करते हैं?
लेखक :- यह पुस्तक आज के समाज की सख्त जरूरत है इससे इसकी विशेषता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह जीवन के प्रत्येक सकारात्मक लक्ष्य को हासिल करने में सरल और प्रभावी पथ प्रशस्त् करती है!

संपादक :- आपको क्या लगता है कि आपके लेखन में सबसे अधिक विशेषता क्या है? और इस पुस्तक को लिखने का सबसे कठिन हिस्सा?

लेखक:- इस पुस्तक की अहम् खूबी है कि इसमे कम शब्दों में ज्यादा सार्थक मोतियों को पिरोया गया है। यह जीवन की भूल भुलैया को सुलझाने में सबसे मददगार मित्र की तरह है। रही बात कठिन हिस्से की तो मैंने इस पूरी पुस्तक को शिद्दत के साथ दिल से लिखा है इसीलिए मुझे इसके हर पन्नेहर लाइन और हर शब्द से बेइंतहा मोहब्बत है!

संपादक :- आपको लिखना सीखने में सबसे उपयोगी क्या लगाक्या कम से कम उपयोगी था या सबसे विनाशकारी था?
लेखक:- मेरे जीवन में आए उतार चढ़ावअसफलताओं और अनगिनत ठोकरें सीखने का सबसे महत्वपूर्ण साधन रहे हैं। असफलताओं ने मुझे हर स्तर पर मजबूतबहादुर और पहले से कहीं ज्यादा समझदार बनाया है!

संपादक :- क्या आप पूर्णकालिक या अंशकालिक लेखक हैंयह आपके लेखन को कैसे प्रभावित करता है?
लेखक :- खुद को पूर्ण कालिक या अंश कालिक लेखक के बंधन में बाँध कर मैं स्वयं के साथ अन्याय करूँगा क्योंकि मेरा संपूर्ण जीवन लेखन हैमेरा जीवन और लेखन एक सिक्के के दो पहलू हैं एक के बगैर दूसरे का अस्तित्व नहीं हैलेखन मेरे जीवन का नायाब पहलू है जो मुझे हर पल बेहतरी की ओर ले जाता है!

संपादक :- आप कैसे लिखते हैं या लिखने के लिए समय निकालते हैं?

लेखक:- हर वक़्त जब मैं मेरे जीवन मे भावों का समंदर महसूस करता हूँइसे समेट कर किताब में उतार देता हूँ। एक बार फिर कहूँगा लेखन मेरे लिए जीवन है और जीवन के लिए समय निकाला नहीं जाता बल्कि जीवन के लिए ही समय है।

संपादक :- लेखन समुदाय में आपकी क्या भूमिका है?
लेखक:- लोगों के जीवन में सकारात्मकता का संचार हो इस उद्देश्य से लिखता हूँ और बहुत हद तक आप सब के सहयोग और आशीर्वाद से इसमे सफल भी हो रहा हूँ!

संपादक :- भविष्य की परियोजनाओं के लिए आपकी योजनाओं में क्या-क्या शामिल है?

लेखक:- एक सकारात्मक समाजजिम्मेदार नागरिक और सभ्य और संवेदनशील देश की आकांक्षा लिए लेखन पथ पर सतत् चलते जाना चाहता हूँ आप सब को साथ लेकर।

आनंद जी आप के साथ इस पुस्तक का सफर शानदार रहा और ये इंटरव्यू भी मजेदार हुआआपका आभार!



लेखक आनंद पटेल जो संघर्षों के परे जीवन को जीने की कला में ना सिर्फ़ विश्वास रखते हैं बल्कि उन्होंने अपने जीवन में इसे चरितार्थ भी किया है छतरपुर जिले के एक छोटे से गाँव दलपतपुरा से आप ताल्लुक रखते हैं। आठवीं तक गाँव से शिक्षा पूरी कर छतरपुर आएसिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया भोपाल में

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