पहली मुलकात - इंजीनीयर आनंद पटेल
आखिरकार इंतज़ार खत्म हुआ। अमेज़न किंडल पर "लाइफ इंस्ट्रूमेंट" किताब आ ही गई है और पेपरबैक में भी किताब लाइव हो गई है।
मसलन, इस किताब के लेखक इंजीनियर आनंद पटेल जी से मेरी अभी तक मुलाक़ात नहीं हुई हैं लेकिन फिर भी उन्होंने मुझ पर भरोसा करके अपने सपने को साकार करने के लिए मुझे चुना, मुझे इसका हिस्सा बनाया इसका मैं हमेशा आभारी रहूँगा क्योंकि किसी भरोसा कमा पाना दुनिया की सबसे बेहतर चीजों में से एक है।
बीता साल वैसे तो अनेक चुनोतियों से संघर्ष करते हुए गुजरा लेकिन इसी साल के आखिरी महीने में मेरे पास आनंद जी का मैसेज आया और मैंने तुरंत उनकी बात समझी और किताब के कार्य को पहली प्राथमिकता दी। उसके बाद फिर घंटों कॉल पर समझने-समझाने का दौर चलता रहा। कुछ ही दिनों में किताब की टाइपिंग और संपादन का काम हो गया लेकिन कवर डिजाइन और इंटीरियर डिजाइन का काम बाक़ी था। फिर उसकी भी कोशिशें प्रारंभ हुईं चली और कई प्रयासों के बाद ये काम भी सफल हुआ। मैं भोपाल आ गया था इसलिए बुक को ज्यादा टाइम नहीं दे पा रहा था। कारण था कि नौ -दस महीने बाद भोपाल वापिस आकर यहाँ सब सेट करने में टाइम लगता है इसलिए आनंद जी और मेरे बीच अनबन शुरू हो गई। फिर एक ऐसा मोड़ आया कि मैं उस समय से इस क़िताब का हिस्सा नहीं था पर मन अभी भी कह रहा था कि आपसी मतभेद को भुलाकर उस सपनें में शामिल हुआ जाए जो वाकई उत्साहित करता है। लेखक साहब ने फिर मुझपर भरोसा किया और मैंने पब्लिकेशन देखना स्टार्ट कर दिया।अंततः OCEANINK PUBLICATION तक आकर यह बात रुकी। मकर संक्रांति के दिन किंडल पर ये क़िताब रिलीज हुई।
कई बातों, विचारों के आदान-प्रदान के बाद लेखक और संपादक के बीच एक नायाब रिश्ता कायम हो जाता है जो एक दूसरे पर एक भरोसा कायम करता है। आज हमारी इंटरव्यू ब्लॉग सीरीज "एक मुलाकात आपसे" में सबसे पहले "लाइफ इंस्ट्रूमेंट" के लेखक से कुछ सवालों के साथ रूबरू होंगे।
संपादक :- आपने अपने विशेष क्षेत्र या शैली में लिखना क्यों चुना? यदि आप एक से अधिक किताब लिखते हैं, तो आप उन्हें कैसे संतुलित करेंगे?
लेखक:- मैंने मोटिवेशनल थॉटस को लिखना इसलिए आरंभ किया क्योंकि आज के दौर में इंसान शारीरिक रूप से तो मजबूत है लेकिन मानसिक कमजोरी इंसान को निगलती जा रही है। रही बात दूसरे क्षेत्र या शैली को लिखने की तो यही कहूँगा जो मैं अपने चारों ओर घटित होते हुए देखता हूँ उसे किताब के पन्नों पर उतार देता हूँ और यह मेरे लिए अब बहुत सहज हो गया है।
संपादक :- आप लेखन / पठन / कहानी / लेखन आदि में क्या सांस्कृतिक मूल्य देखते हैं?
लेखक:- लेखन और पठन, पाठन सांस्कृतिक प्रक्रिया है जितना ज्यादा हम पढ़ते हैं उतना ज्यादा संस्कृति के नजदीक खुद को पाते हैं।
संपादक :- इस पुस्तक के जरिये आपके लक्ष्य और इरादे क्या थे, और आप उन्हें कितना अच्छा महसूस करते हैं?
लेखक :- यह पुस्तक आज के समाज की सख्त जरूरत है इससे इसकी विशेषता का अंदाजा लगाया जा सकता है। यह जीवन के प्रत्येक सकारात्मक लक्ष्य को हासिल करने में सरल और प्रभावी पथ प्रशस्त् करती है!
संपादक :- आपको क्या लगता है कि आपके लेखन में सबसे अधिक विशेषता क्या है? और इस पुस्तक को लिखने का सबसे कठिन हिस्सा?
लेखक:- इस पुस्तक की अहम् खूबी है कि इसमे कम शब्दों में ज्यादा सार्थक मोतियों को पिरोया गया है। यह जीवन की भूल भुलैया को सुलझाने में सबसे मददगार मित्र की तरह है। रही बात कठिन हिस्से की तो मैंने इस पूरी पुस्तक को शिद्दत के साथ दिल से लिखा है इसीलिए मुझे इसके हर पन्ने, हर लाइन और हर शब्द से बेइंतहा मोहब्बत है!
संपादक :- आपको लिखना सीखने में सबसे उपयोगी क्या लगा? क्या कम से कम उपयोगी था या सबसे विनाशकारी था?
लेखक:- मेरे जीवन में आए उतार चढ़ाव, असफलताओं और अनगिनत ठोकरें सीखने का सबसे महत्वपूर्ण साधन रहे हैं। असफलताओं ने मुझे हर स्तर पर मजबूत, बहादुर और पहले से कहीं ज्यादा समझदार बनाया है!
संपादक :- क्या आप पूर्णकालिक या अंशकालिक लेखक हैं? यह आपके लेखन को कैसे प्रभावित करता है?
लेखक :- खुद को पूर्ण कालिक या अंश कालिक लेखक के बंधन में बाँध कर मैं स्वयं के साथ अन्याय करूँगा क्योंकि मेरा संपूर्ण जीवन लेखन है! मेरा जीवन और लेखन एक सिक्के के दो पहलू हैं एक के बगैर दूसरे का अस्तित्व नहीं है! लेखन मेरे जीवन का नायाब पहलू है जो मुझे हर पल बेहतरी की ओर ले जाता है!
संपादक :- आप कैसे लिखते हैं या लिखने के लिए समय निकालते हैं?
लेखक:- हर वक़्त जब मैं मेरे जीवन मे भावों का समंदर महसूस करता हूँ, इसे समेट कर किताब में उतार देता हूँ। एक बार फिर कहूँगा लेखन मेरे लिए जीवन है और जीवन के लिए समय निकाला नहीं जाता बल्कि जीवन के लिए ही समय है।
संपादक :- लेखन समुदाय में आपकी क्या भूमिका है?
लेखक:- लोगों के जीवन में सकारात्मकता का संचार हो इस उद्देश्य से लिखता हूँ और बहुत हद तक आप सब के सहयोग और आशीर्वाद से इसमे सफल भी हो रहा हूँ!
संपादक :- भविष्य की परियोजनाओं के लिए आपकी योजनाओं में क्या-क्या शामिल है?
लेखक:- एक सकारात्मक समाज, जिम्मेदार नागरिक और सभ्य और संवेदनशील देश की आकांक्षा लिए लेखन पथ पर सतत् चलते जाना चाहता हूँ आप सब को साथ लेकर।
आनंद जी आप के साथ इस पुस्तक का सफर शानदार रहा और ये इंटरव्यू भी मजेदार हुआ, आपका आभार!
लेखक आनंद पटेल जो संघर्षों के परे जीवन को जीने की कला में ना सिर्फ़ विश्वास रखते हैं बल्कि उन्होंने अपने जीवन में इसे चरितार्थ भी किया है। छतरपुर जिले के एक छोटे से गाँव दलपतपुरा से आप ताल्लुक रखते हैं। आठवीं तक गाँव से शिक्षा पूरी कर छतरपुर आए, सिविल इंजीनियरिंग में दाखिला लिया भोपाल में।
इसी तरह लेखकों से रुबरु होने का सिलसिला चलता रहेगा। आप इसे पढ़िए और विचार व्यक्त करिये।
No comments:
Post a Comment