Saturday, May 20, 2023

मेरे महावीर

  


 जब जब हिंसा से भरा देश।
तब तब तुमने उपदेश दिया।
हिंसा से धर्म नहीं होता।
सबको यह शुभ संदेश दिया।
हिंसा तो पाप कहाती है फिर
इसको धर्म कहें कैसे?
यह श्रद्धा दुख का कारण है,
यह कारज जीव करे कैसे।

 

पर में कर्तत्व मिटाने का
उपदेश दिया महावीरा ने।
अहिंसा,अचौर्य, अपरिग्रह का
सद्ज्ञान दिया युगवीरा ने।

 

सुख शांति फैले विश्व में।
हर मन निरन्तर भावना।
तल्लीन हो निज आत्म में
है यही शिवपद पावना।

 

तुमने हमें सत्मार्ग पर
चलना सिखाया प्रेम से।
छोटे बड़े की भावना
त्यागो महज इस प्रेम  से।
सत्य, अहिंसा, अपरिग्रह की
बहुत जरूरत देश को।
पाखंडों का खंडन करने
धारे तुम मुनिवेश को।
आकुलता का, व्याकुलता का
क्षण में क्षय हो निज ध्यान से।
सर्वोदय तीर्थ प्रणेता तुम।
तुम महावीर निज ज्ञान से।
अतिवीर सन्मति वर्धमान
महावीर वीर गुणमय विशाल।
तुम शांति पुजारी शांति दूत
तुम जानत हो सब कुछ त्रिकाल।

 

तुम इंद्रियों को जीतकर
हितकर जितेंद्रिय हो गए।
कर्माष्ट शत्रु विनाश कर।
इस विश्व के प्रिय हो गए।

 

जग मैं जब अत्यचार बड़ा।
भीषण हिंसा का जन्म हुआ।
अहिंसा, दया की बात कही
तब महावीर स्मरण हुआ।
अज्ञान तिमिर जब छाया था।
हिंसा ने जब ललकारा था।
तब शांतिदूत बनकर आये।
सब ओर तेरा जयकारा था।
वचनों में आपके मधुरामृत।
हो गया मेरा जीवन कृत कृत।
है धन्य सफल तुम सन्यासी।
तेरी वाणी से बुध झँकृत।

 

अंतिम शासन नायक जिनेश
तुमको वंदन शत कोटि नमन।
तुम युग युगांतर पूजित प्रभु।
तुम मेरे जीवन का उपवन।
सब जीव बराबर हैं जग में
कोई छोटा न बड़ा प्रभु।

 

दो शुभाशीष "सिद्धार्थी" को।
शत बार नमन है वीर प्रभु।



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