Friday, May 19, 2023

नया युग

 आज मानुष गिर गया है,चन्द्र पैसो के लिए वह।

असमंजस में घिर गया है,चन्द्र सुविधा के लिए वह।

आज रिश्ते टूटते हैं,अपनों के अपनों के द्वारा।
वेवजह ही रुठते हैं ,कभी रिश्ता था जो प्यारा।

तू मुसाफिर सो रहा है,पल ही पल क्यों रो रहा है।
नहीं लगता है जगासा,हर समय क्यों है उदासा।

पूछता हूँ ये समंदर,छिपे मोती तेरे अन्दर।
बता कितने ढूढ़ता में,वेवजह क्यों डूबता में।

ऐ हवा पुलकित फिजा,ऐ मेरे परवरदिगार।
ऐ मेरे दिल तू बता, क्या तुझे है इनका पता।

रुक मुसाफिर अब सम्हल जा,चेत कर फिर से बदल जा।
रहो सबके साथ मिलकर,यही मतलब इस पहल का।


जाग उठ और खड़े हो,तुझमें छुपा है नूर सा।
ऐलान कर दे इस जंहा को,बनजा तू कोहिनूर सा।

दिखादे अपनी दिलासा,फहरा दे अपनी पताका।
मुश्किलो में नहीं डरना जीत जायेगा जंहा को।

सत्य पालेगा अगर तू मुश्किलो से लड़ेगा तू।
बनेगा तू एक सम्मा और बनके जलेगा तू।

दोस्त बनकर सभी से रह,बैर की न हो निशानी।
प्यार के अल्फाज निकलें चेन से हो हर कहानी।

क्यों न हम रिश्ते बनाये,खुशनुमा दीपक जलाये।
प्रेम की छाया में रहकर, क्यों न हम मंडप सजायें।।।

   
                                       सोमिल जैन "सोमू"

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