पीयूष जैन द्वारा निर्मित
मिली शब्दों को आवाज, रचा इतिहास अनोखा
साहित्य में डाले प्राण, रचा इतिहास अनूठा।
तत्वज्ञान के लिए जब, कलम सम्हाल कागज पकड़ा।
पत्थरों को हीरक बना दिया,मूर्तिरूप आकार दिया।
शब्दों को मिली जुबान........रचा इतिहास अनोखा।
टीकाएँ छंद काव्य कथा सब,स्वर्णाक्षर-सम सजा डाले।
सबको शुद्धातम समझाकर ,नये प्रयोग ही कर डाले।
हुआ नए कल का आगाज......रचा इतिहास अनूठा।
विश्व क्षितिज पर धर्म ध्वजा को,फहरा मंगल गान किया।
स्याद्वाद व अनेकांत का,डंका तुमने बजा दिया
दिशा मिली चिंतन को......रचा इतिहास अनूठा।
स्वाध्याय बस स्वाध्याय ही,जीवन का अभिन्न अंग है।
वस्तु स्वरूप यथार्थ समझकर,हम भी चलें आप संग है।
हुए कई निर्माण.....रचा इतिहास अनूठा।
वाद विवादों को सुलझाकर, कदम बढ़ा मंजिल की ओर।
देश विदेशों में जा जाकर,जैनधर्म की पकड़ी डोर।
स्वेत वस्त्र ही शान.......रचा इतिहास अनूठा।
भौतिकता की चकाचौंध में,अंधा जग बौराया था।
उलझ मिथ्या प्रपंचों में,शुद्धातम को बौराया था।
दे उपदेश महान........रचा इतिहास अनूठा।
सोमिल जैन "सोमू"
पीयूष जैन
No comments:
Post a Comment