Friday, December 23, 2022

ये खत है तुम्हारे नाम❤️

  


ये #खत है तुम्हारे नाम!



हाँ इस साल ही तुम आईं थी। कई सालों की मेहनत के बाद तुम आयीं थी। सीने में कब से पल रहे सपने ने तुम्हारे आने से आकार लिया था। आते ही मेरी उम्मीद से ज्यादा खरी भी उतरी। कुछ किरदार जो याद रह गए... "छोटू" "असाटी" "परी" "एंजल अंकल" "आसिफ चाचा" "गुड़िया" "अवनी" और भी बहुत। तुमने मुझे एक पहचान भी दी। अब मेरा नाम कोई याद नहीं रखता अब तो या "#सोमू" बुलाते हैं या "#लेखक"। कभी-कभी मैं भी तुम्हें पढ़ते वक्त  तुममें ही खो जाता हूँ लगता है जैसे ये कहानी किसी और ने लिखी हो और बस मैं पढ़ रहा हूँ।

तुम्हारे कारण मेरी कहानी को लोगों ने अपनी कहानी माना। तुम्हारे कारण मुझे बहुत अच्छे-अच्छे लोगों से मुलाकात का मौका और मौसम मिला। 19 साल में ही एक ऐसी किताब लिखने का साहस मिला जिसे पढ़ने वाले बस पढ़ते गए। कई मोड़ पर मेरे कदम डगमगाए मगर तूने कहा "आगे आना है तो अपने दम पर आओ, किसी के एहसान या खैरात से नहीं "। कुछ लोगों के मुँह बन्द भी तुम्हारे कारण हुए हैं जिन्हें गुरूर हो गया था कि मेरी "उड़ान" के कभी पर नहीं आयेंगे। जाते-जाते वक्त साल को खूबसूरत तुमने ही बनाया है.....


               "उड़ान" का असली परिंदा तो मैं ही था ये तुम बहुत पहले से जानती थीं। तुम्हें लिखते वक्त कई रातों को रातभर जागना सीखा। सबसे परे "उड़ान" भरना सीखा। जो अपनी कहानी कहें ऐसी किताबों में जीना सीखा। और भी कई "तेरी-मेरी बातें" हैं जो आगे किसी दूसरी किताब में करेंगे।

तुमने ये दिया कि जब भी कोई इसे पढ़ेगा वो एक बार ये जानने की कोशिश जरूर करेगा कि इसको लिखने वाला कौन है।


सभी गुरुजन ज्येष्ठ, अनुज, सहपाठी जनों को तहे दिल से शुक्रिया जिन्होंने इस अदने से साहस को लंबी सी "उड़ान" दी।






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