Thursday, February 16, 2023

कैसे इंसान हो

*कैसे इंसान हो*

जब ये सवाल एक लड़के से पूछा जाता है तो उसके पास इसके तमाम जवाब होते हैं, वो इंसान जिसे स्वार्थ से भरा इंसान दिखते हुए भी चुपचाप हाँ भर रहा है, जिसे पता है कि उसकी गलती नहीं है फिर भी उस तुम कभी नहीं समझोगे का तमगा पहना दिया जाता है और कह दिया जाता है *कैसे इंसान हो*

वो इंसान जो तुम्हारे हर पल साथ है, फिक्र करता है, आपके सपने को आगे रखकर अपनी चाहत को परे करके सिर्फ सामने वाले के कल को बेहतर बनाने का जज़्बा रखता है, ये वही इंसान है जिसे जब चाहों काम में ले लो और उसकी बारी आने पर लाचारी का मेडल थमा दो।

ये वही इंसान है जो खुद से पहले आपकी सोचता है, आप उठे, आप ठीक हो, आप कहाँ हो, सब ठीक है ना, समय हो गया चलो पूछ लेते हैं कॉल करके, नहीं वो कॉल नहीं उठाएगा क्योंकि आप उसके बाप नहीं हो, आप उसके दोस्त हो जो सिर्फ तब काम आए जब उसके सारे काम पूरे हो गए हों और कोई नए काम को पूरे करने का विचार हो।

ये वही इंसान है जो खुद भी कई जिम्मेदारियां लिए हुए है, सबसे ज्यादा इमोशनल होकर भी आगे का सोचकर हर बार सम्हला है।

ये वही इंसान है जिसकी फिक्र आपको नहीं होती तब तक जब तक आपका स्वार्थ सिद्ध ना हो जाये, तब तक जब तक आप आराम दायक जगह पर आकर सुकून ना ले लें तब तक उसकी याद नहीं आती और ना वो इतना मायने रखता है ये वो इंसान है।

वही इंसान है जिसकी बेइज्जती आप कभी भी कर सकते हैं हर तरह से। दूसरो का गुस्सा उतारना हो तो भी ये इंसान है, अपनी गलती होते हुए भी दूसरे की कमियां निकालना हो तो ये इंसान है।

ताज्जुब ये है कि प्यार करना हो, अपने हिसाब से प्यार करना हो तो भी वही इंसान है, अपने साथ हो रहे जुल्म को किसी पर थोपना हो तो भी वही इंसान है और अगर पलट कर उस इंसान ने कहा दिया कि मेरी क्या गलती तो भी तुम कभी समझोगे नहीं कहने के लिए भी वही इंसान है।

कभी कभी अपनी समझदारी पर इतना गुरुर आ जाता है कि जहाँ दूसरो को समझने की बात आती है वहीं सारी समझदारी मर जाती है, जहां आप लॉजिक से समझाते हो कि बात ये है वहां भी सिर्फ आपकी नासमझी का पुरुस्कार देकर कैसे इंसान हो बना दिया जाता है।

कैसे इंसान हो इसके दो पहलू हो सकते हैं, वही जो कल रात तक आपको समझा, सुबह उसने अपने लिए कुछ मांग लिया ये भूलकर की उस वक्त भी जरूरत थी आपकी फिर भी जाने दिया इसलिए क्योंकि समझता है उस इंसान की फिक्र अपने स्वार्थ पूरे होने के बाद होती है क्योंकि लगता ही नहीं कि उसकी भी लाइफ है, हेल्थ है, वो भी आगे बढ़ना चाहता है या सिर्फ अपनी गलती का दोष भी उसे ही मड़ दो और कह दो वो शब्द जिसे एक आदमी को बोलो तो कोई बात नहीं लेकिन अगर किसी औरत को बोलो 'कैसी औरत हो' तो चरित्र पर सवाल उठ जाता है लेकिन मर्द के लिए कोई चरित्र की बात नहीं..... उसे तो कभी कहो और जब जरूरत पड़े तो फिर उसी इंसान के पास आ जाओ क्योंकि ये भी तो कहना है कि तुम समझते नहीं

इतने सब के बाद भी मर्द के पास एक ही सवाल है *कैसे इंसान हो*

कलम क्या-क्या लिखाए

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